सब्र व इस्तेक़ामत:- Islamic Relief Fact File - Saudi Arabia
हजरत अनस रजि अल्लाह ताला का कथन है कि | रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया | अल्लाह के रास्ते में मुझे इतना डराया धमकाया गया कि | किसी और को इतना नहीं डराया गया | और अल्लाह की राह में मुझे इतना सताया गया कि, किसी और को इतना नहीं सताया गया | और एक बार 30 रात दिन ,मुझ पर इस हाल में गुजरे, कि मेरे और बिलाल के लिए खाने की कोई चीज ऐसी ना थी, जिसको कोई जानदार खा सकें | सिवाय उसके जो बिलाल (रजिo) ने अपनी बगल के अंदर छुपा रखा था |
शुरुआत ( बहादुरी ) :- Facts About Islam - fastest growing religion
हुसैन की लड़ाई के अवसर पर कुफ्फार के तीरों की बौछार से साहिबे इकराम में एक तरह की खलबली परेशानी हलचल और डगमगाहट पैदा हो गई थी | मगर हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपनी जगह से हिले तक नहीं | हालांकि घोड़े पर सवार थे और अबू सुफियान बिन हरिस अपने घोड़े की लगाम पकड़े बैठे थे | की हुजूर पर हमला कर दे अतः आप घोड़े से उतरे और अल्लाह ताला से मदद मांगी | और जमीन से एक मुट्ठी मिट्टी लेकर दुश्मनों की तरफ फेंका तो, कोई काफिर ऐसा ना था जिसकी आंख उस मिट्टी से ना भर गई हो | हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उस वक्त यह शेर पढ़ें जिसका अनुवाद यह है |
Interesting Facts of Islam:- Largest Religion
उस रोज आप सल्लल्लाहूअलैहीवसल्लम से ज्यादा बहादुर और दिलेर कोई ना देखा गया | हजरत इस पर उमर (रजिo) ने फरमाया है, कि मैंने रसूले अकरम सल्लल्लाहुअलैहि वसल्लम से बढ़कर ना कोई बहादुर देखा, ना कोई मजबूत देखा, और ना कोई दानी देखा,और ना कोई व्यवहार में इतना पसंदीदा देखा | और हम बद्र की लड़ाई के दिन रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम की आड़ में पनाह लेते थे | और बड़ा बहादुर वह आदमी समझा जाता था | जो जंग के मैदान में आपके करीब रहता जबकि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम दुश्मन के करीब होते थे | क्योंकि इस सूरत में उस आदमी को भी दुश्मन के करीब रहना पड़ता था |
दान शीलता:- इस्लाम फैक्ट्स - men and women - Islamic world
हज़रत इब्ने अब्बास (रजि०) फरमाते हैं | कि हुजूर अक़दस सल्लल्लाहूअलैहीवसल्लम तमाम लोगों से ज्यादा दानी हुआ करते थे | कोई भी आपकी दान शीलता का मुकाबला ना कर सकता था | कि स्वयं फकीराना जिंदगी बसर कर रहे थे | और दान करने में बादशाहों को भी शर्मिंदा करते थे | एक बार अति आवश्यक हालात में एक औरत ने चादर पेश की | और बहुत जरूरत की हालत में आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पहनी , उसी वक्त एक आदमी ने मांग ली और आपने उसे प्रदान कर दी | आप कर्ज लेकर जरूरतमंद लोगों किस जरूरत को पूरी करते थे | और कर्ज दाता के सख्त तकाजे के वक्त कहीं से अगर कुछ आ गया, और कर्ज अदा करने के बाद कुछ बच गया तो जब तक वह बट न जाता, घर तश्रीफ ना ले जाते थे | खासतौर से रमजान के महीने में आखिर तक बहुत उदार थे ( की हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कि 11 माह की उदारता भी इस महीने की उदारता के बराबर ना होती थी ) और इस महीने में जब भी हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम तशरीफ लाते और अल्लाह का कलाम सुनाते उस वक्त आप सल्लल्लाहूअलैही वसल्लम भलाई करने और फायदा पहुंचाने में तेज बारिश लाने वाली हवाओं से भी ज्यादा दान करते |
( खयाल नबी )
Islam Key Facts:- facts about islam
त्रिमीजी की हदीस (Holy Book) से नकल किया गया है | कि हुजूरे अनवरत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास एक बार 90000 दिरहम जिसके लगभग ₹20000 से ज्यादा होते हैं, अचानक कहीं से आ गए | हुजूर अक्दस सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने एक बोरे पर डलवा दिए, और वही पड़े पड़े सब बटवा दिए | पैसा खत्म हो जाने के बाद एक सवाल करने वाला आया | हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मेरे पास तो कुछ रहा नहीं तू किसी से मेरे नाम कर ले ले जब मेरे पास होगा अदा कर दूंगा | ( खयाल ए नबी ) !!
हजरत जाबिर (रजि०) का कथन है, कि ऐसा कभी नहीं हुआ कि रसूले खुदा से कुछ मांगा गया हो और आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने कहा हो मैं नहीं दे सकता | हजरत अनस (रजि०) फरमाते हैं की रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कल के लिए कोई चीज ना उठा रखते थे | हज़रत इब्ने अब्बास (रजि०) का बयान है कि रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सबसे ज्यादा दानी सखी थे | खास करके रमजान के महीने में तो बहुत ही दानी सखी हो जाते थे | एक बार हुजूर अकरम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने हजरत अबू जहर गिफारी (रजि०) से फरमाया ए अबू ज़हर मुझे यह पसंद नहीं की मेरे पास उहद पहाड़ के बराबर सोना हो,और तीसरे दिन तक उसमें से मेरे पास एक अशर्फी भी बच जाए | सिवाय इसके कि जो कर ज्यादा करने के लिए हो | तो तो ए अबू ज़हर मैं उस माल को दोनों हाथों से खुदा की मखलूक ( प्राणियों ) मे तक्सीम करके उठूंगा |
Majority of Muslims:-
1 दिन रसूले अकरम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम के पास 6 अशर्फियां थीं, चार तो आप सल्लल्लाहूअलेही वसल्लम ने खर्च कर दी |और दो आपके पास बच रही थी | उनकी वजह से पूरी रात नींद ना आयी | उम्मूल मोमिनीन कीमा हजरत आयशा सिद्दीक (रजि०) ने अर्ज किया मामूली बातसुब है | सुबह उनको खैरात कर दीजिएगा | हुजूर अकरम सल्लल्लाहूअलैहिवसल्लम ने फरमाया,ए हुमैरा हज़रत आयशा (रजि०) की उपाधि लकब है | क्या पता मैं सुबह तक जिंदा रहूं या ना रहूं |
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