40 Hadees in hindi - Quran Hadees Ki Roshni Mein -
मरहूम - हुजूरअक़दससल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम
चालिसवा हदीस - कुछ इस प्रकार - 40 हदीस है
हजरत सुलेमान (रजिo ) फरमाते हैं | कि मैंने हुजूरे अक़दस (स०) से पूछा कि वह 40 हदीस क्या है | उन्होंने जिसके बारे में यह फरमाया है | कि जो उनको याद कर ले जन्नत में दाखिल होगा | फिर हुजूर अक़दस (स०) ने फरमाया कि !
1:- तू अल्लाह पर यकीन लाए |
2:- और आखिरत के दिन पर भी |
3:- और फरिश्तों पर |
4:- और सब आसमानी किताबों पर |
5:- और तमाम नबियो पर |
6:- और मरने के बाद दोबारा जिंदगी पर |
7:- तकदीर और भाग्य में जो कुछ भी होता है भला बुरा | वह सब अल्लाह की तरफ से होता है |
8:- और गवाही दे इस पर कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं है |
9:- और नमाज पूरी तरह वजू करके पढ़ें |
10:- जकात अदा करें, रमजान के रोजे रखे |
11:- 12 रकात सुन्नत मुत्तादा रोजाना अदा करें, सुबह से पहले 2 रकात, और जोहर से पहले 4 रकात, और जोहर के बाद 2 रकात, और मगरिब के बाद 2 रकात, और ईशा के बाद 2 रकात |
12:- वित्तर की रात ना छोड़े |
13:- और अपने मां-बाप की बातों पर हमेशा अमल करें |
14:- शराब न पिए, जीना ना करें बालात्कार ना करें |
15:- कभी भी झूठी गवाही ना दें |
16:- किसी भी मुसलमान भाई जो गरीब हो उसकी पीठ पीछे कभी बुराई ना करें |
17:- और पवित्र मर्द या औरत पर आरोप ना लगाएं |
18:- सैर तमाशा में व्यस्त ना हो |
19:- किसी छोटे कद वाले को ऐब की नियत से ठिगना मत कहो |
20:- मुसलमान के बीच चुगल खोरी ना करें |
21:- बला और मुसीबत आने पर सब्र करे |
22:- बल्कि उनके साथ हमेशा अच्छा व्यवहार करें |
23:- सुबह अल्लाह, अल्लाह हू अकबर |
24:- और और रमजान में जकात निकाला करें | और उस जकात के पैसे को गरीबों में तक्सीम करें |
25:- और इस बात पर यकीन रखें कि जो तकलीफ और आराम तुझे पहुंचा वह किस्मत में था जो चलने वाला न था और जो कुछ नहीं पहुंचा वह किसी तरह पहुंचने वाला ना था |
26:- और मोहम्मद सल्लल्लाहुअलैहि वसल्लम अल्लाह के सच्चे रसूल है |
27:- और लाइलाहाइलल्लाह का अक्सर जाप करें |
28:- ज़ुमा और ईदैन दोनों ईद की नमाज में हाजिरी ना छोड़ें |
29:- अल्लाह के किसी प्राणी पर लानत (फटकार) ना करें |
30:- अल्लाह के आजाब से निडर मत हो,
31:- अल्लाह ताला की नियमों पर उसका शुक्रिया अदा करें |
32:- और रिश्तेदारों से संबंध ना तोड़े |
33:- और किसी का मजाक मत उड़ाओ |
34:- अपने मुसलमान भाई से कि ना या नफरत ना रखें |
35:- नफ़्स ( इंद्रियों ) की लालसा पर अमल करें |
36:- अन्या से किसी यतीम का मॉल न खाय |
37:- अगर माल हो तो हज जरूर करें |
38:- और कभी झूठी कसमें ना खाएं |
39:- और अल्लाह के साथ किसी को शरीक ना करें |
40:- और तमाशाहियों में शरीक न हो |
यह था - 40 हदीस का तर्जुमा - Quran Hadees Ki Roshni Mein
और कलाम अल्लाह की तिलावत ( कुरान शरीफ का पढ़ना ) किसी हाल में भी मत छोड़ो | हजरत सुलेमान रजिअल्लाहतालाअन्हा कहते हैं, मैंने पूछा जो कोई इनको याद करें उसे क्या फल मिलेगा ! तो रसूलुल्लाह (स०) ने फरमाया हक सुब्हानहु कयामत प्रलय के दिन उसका हिसाब हजरत अंबिया अलैहीसलाम और ओलमा - ए - कराम के साथ फरमाएंगे |40 हदीस शरीफ - 40 हदीस से - इल्म अफ़ज़ाई, सब्र और माफ़ी, सहनशक्ति :-
हुजूर - ए - अकरम (स०) के सब्र सहनशीलता और क्षमता माफ करने के गुण नबूवत के महानतम गुणों में से थे | हदीस पाक में है रसूलुल्लाह (स०) ने कभी भी अपने निजी मामले और माल व बदौलत के सिलसिले में बदला नहीं लिया | मगर उस आदमी से जिसने अल्लाह ताला की हलाल की हुई चीज को हराम कर दिया, तो उससे अल्लाह ताला ही के लिए बदला लिया |
और हुजूर (स०) का सबसे बड़ा और जबरदस्त सब्र उहद की लड़ाई में देखा गया | कि काफिरों ने आप (स०) के साथ जंग लड़ी और आप (स०) को बहुत दुख पहुंचाया मगर आपने उनको ना सिर्फ माफी दी बल्कि उन पर मेहरबानी फरमाते हुए उनको उस अत्याचार और मूर्खता में विवश जाना, और फरमाया ए मेरे अल्लाह मेरे कोम को सीधे रास्ते पर ला क्योंकि वह जानते नहीं नासमझ है |
और एक रिवायत ( वर्णन ) है ( अल्लाहुम्मामगफिरलहुम ) ए अल्लाह उन्हें माफ फरमा दे | और जब सहाबा को बहुत तकलीफ महसूस होने लगा तो कहने लगे या रसूलुल्लाह कितना अच्छा होता कि उन पर बद्दुआ फरमाते कि वह खत्म ( हलाक ) हो जाते | पर आप (स०) ने फरमाया कि, मैं लानत भेजने के लिए नबी बन कर नहीं भेजा गया हूं | बल्कि मै हक की दावत पूरी दुनिया के लिए रहमत बनाकर भेजा गया हूं |
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