Nabi E Kareem Ki Zindagi / Nabi Pak Ki Zindagi Ka Waqia / कितनी सच्ची बातें थी प्यारे नबी आप (स०) ने कितने अच्छे ढंग से समझाया था - (Part-3)

 Nabi E Kareem Ki Zindagi | Nabi Pak Ki Zindagi Ka Waqia  (Part-3)


Nabi E Kareem Ki Zindagi / Nabi Pak Ki Zindagi Ka Waqia / कितनी सच्ची बातें थी प्यारे नबी आप (स०) ने कितने अच्छे ढंग से समझाया था - (Part-3)

Nabi Ki Zindagi Ka Bayan:

फिर मक्का वालों ने आप (स०) का पैगाम सुना | कितनी सच्ची बातें थी प्यारे नबी आप (स०) ने कितने अच्छे ढंग से समझाया था | सब आप (स०)  तो सच्चा जानते थे, मगर इस सच्ची बात पर यकीन ना किया | आप (स०) को बुरा भला कहने लगे | बुरा भला कहने वालों में आप (स०) का चाचा अबूलहब सबसे आगे आगे था | फिर वह बोला, क्या तुमने हमें इसी लिए बुलाया था |


Nabi E Kareem Ki Zindagi / Nabi Pak Ki Zindagi Ka Waqia / कितनी सच्ची बातें थी प्यारे नबी आप (स०) ने कितने अच्छे ढंग से समझाया था - (Part-3)

Pyare Nabi Ki Zindagi Ka Waqia:

अल्लाह का दीन आहिस्ता आहिस्ता काफिर रहा फिर परेशान थे | क्या करें कैसे हक सत्य की राह रोके | मोहम्मद (स०) अकेले हैं, थोड़े से साथी हैं, कोई उनका मददगार नहीं, फिर भी लोग उनकी तरफ खींच रहे हैं | बापदादा का दीन धर्म मीट रहा है | सब मिलकर अबू तालिब के पास गए, बोले, अबू तालिब ! सारे खानदान की इज्जत खाक में मिल रही है | भतीजे को रोकिए, वह हमारे आपके मामू दो पूजनीय को झुठला रहे हैं | उनका कहना है कि इबादत के लायक सिर्फ अल्लाह है | हम सब नादान हैं जो बुत परस्ती में लगे हुए हैं | अब पानी सिर से ऊंचा उठ रहा है | अबू तालिब ने किसी तरह से पीछा छुड़ाया | प्यारे नबी आप (स०)  अपना काम करते रहे और दीन फैलाते रहे |


Nabi Ki Zindagi Ka Bayan:

काफिर फिर 1 दिन अबू तालिब के पास गए | और उनको डराया धमकाया, जान का खौफ भी दिलाया, अबू तालिब सोच में पड़ गए | भतीजे को बुलाया और कहा, बेटे मुझ पर इतना बोझ ना डालो | प्यारे नबी आप (स०) जरा ना घबराए, बोले, चाचा जान, यह काम तो अल्लाह का है, वह मेरी मदद करेगा | अगर यह लोग मेरे एक हाथ में सूरज और दूसरे हाथ में चांद, लाकर रख दें, तबभी मैं इस काम से नहीं रुकूंगा | यह कह कर आप (स०) की आंखें तर हो गई | अबू तालिब पर आप (स०) की बात का बड़ा असर हुआ | बोले जाओ बेटा इत्मीनान से अपना काम करते रहो |  मैं तुम्हें जालिमों के हाथ में ना पड़ने दूंगा |


Zindagi Hai Nabi Ki Nabi Ke Liye:

कुछ दिन  के बाद आप (स०) के अच्छे चाचा अबू तालिब चल बसे | प्यारी दीदी खतीजा (रजि) भी चल बसी | इन दोनों से (रजि)  को बहुत मोहब्बत रहती थी | इनके मरने का आप (स०) को बहुत दुख हुआ | काफिर पहले तो अबू तालिब से डरते थे | और खदीजा (रजि) का ख्याल  करते थे |  उनके मरने  के बाद जी भर कर सताने लगे | यह साल प्यारे नबी आप (स०) के लिए बहुत सख्त था | इस साल आपको आप (स०) रम का साल कहते थे | कपिल बराबर मुसलमानों को सता रहे थे, तरह-तरह के दुख देते थे, प्यारे नबी आप (स०) के प्यारे साथियों को सताया करते थे | जब पानी सिर से ऊंचा हो गया, तब कुरान पढ़ना, अल्लाह की इबादत करना, दीन पर चलना, दूसरों को दीन की बातें बताना सब दूभर हो गया, तो आप (स०) ने मुसलमानों से फरमाया ! 


Nabi Ki Zindagi Ka Waqia:


“ प्यारे साथियों !  तुम्हें दीन के लिए बहुत दुख सहने पढ़ रहे हैं | और अब से जो चाहे हब्सा देश चला जाए | हब्शा का बादशाह नजाशी बहुत अच्छा है | वहां कोई रोक नहीं होगी | और तुम आजादी से दिन पर अमल कर सकोगे | और तुम्हें दिन फैलाने का मौका भी मिलेगा | 


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Nabi Pak Ki Makki Zindagi:

मुसलमान घर बार छोड़कर हब्शा चले गए | और उन्होंने काफिरों के जुल्मों से तंग आकर वतन छोड़ दिया | वह दिन के लिए दूसरे देश में जा बसे | इसी को इजरत कहते हैं | मगर काफिरों ने कुछ दिन के बाद अभी चैन ना  लेने दिया | पीछा करते हुए हब्शा पहुंच गए | नजाशी से शिकायत की |  मुसलमान दरबार में बुलाए गए | हजरत अली (रजि) के भाई हजरत जाफर (रजि)  मुसलमानों के सरदार थे | उन्होंने नजाशी के दरबार में एक तकरीर की | तकरीर बहुत अच्छी थी |


Nabi E Kareem Ki Zindagi / Nabi Pak Ki Zindagi Ka Waqia / कितनी सच्ची बातें थी प्यारे नबी आप (स०) ने कितने अच्छे ढंग से समझाया था - (Part-3)


Pyare Nabi Ki Pyari Zindagi Taqreer:


नजाशी ने हजरत जाफर (रजि) की तकरीर बड़े गौर से सुनिए | और उनकी बातों से बहुत असर लिया | कुरान शरीफ का कुछ हिस्सा भी सुना | कुरान सुनकर रोने लगा | फिर वहां से काफिरों को निकलवा दिया और मुसलमानों के साथ अच्छा सलूक किया | कुछ दिन बाद खुद ही भी मुसलमान हो गया |

(अल्लाह की रहमत हो उन पर) प्यारे नबी आप (स०) हब्सा नहीं गए, मक्के ही में जमे रहे, दुख सहते रहे, अल्लाह की तरफ बुलाते रहे | आप (स०) मेलों में जाते, मंडियों में जाते, हज के मौके पर जगह-जगह से आए हुए लोगों को दिन बताते, और अल्लाह का पैगाम सब जगह पहुंचाते | इस तरह धीरे-धीरे मक्का के बाहर भी दीन और इस्लाम तेजी से फैलने लगा | 


Nabi Kareem Sallallahu Salam Ki Zindagi:

मक्का से करीब 50 मील दूर एक बस्ती है, उसका नाम ताइफ़ है | गर्मियों में वहां पर लोग सैर सपाटे के लिए जाया करते थे जैसे हमारे यहां नैनीताल और शिमला को जाते हैं | मक्का में दिन का काम करते-करते बहुत दिन हो गए थे | मक्के का एक एक आदमी आप (स०)  का दुश्मन बन चुका था कोई आप (स०) की बात पर ध्यान ना देता था | आप (स०) ने सोचा कि क्यों ना अब ताइफ़ जाकर अल्लाह का पैगाम सुनाऊ | हो सकता है वहां कुछ लोग सुने और कुछ साथी मिल जाए | और मिलकर अल्लाह के दिन का काम करें | यह सोच कर आप (स०) ताइफ़ चले गए | ताइफ़ के लोग बहुत बुरे थे | उन्होंने आप (स०) की बातें नहीं सुनी और आप (स०)  के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया | पत्थरों से मारा, गालियां दी, ताने सुनाएं, नादान और शराबी तक कह डाला | बच्चे पीछे लगा दिए | आप (स०) लहूलुहान हो गए मगर बद्दुआ ना कि,उनके लिए दुआ ही करते रहे| अय अल्लाह यह आपकी बातों से अनजान है | इन्हें माफ कर देना |


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