Nabi E Kareem Ki Zindagi | Nabi Pak Ki Zindagi Ka Waqia
( Part-2 )
Nabi Ni Zindagi Ka Bayan:
Mere Nabi Ki Zindagi:
बीबी खदीजा (रजि०) आप (स०) की अच्छाइयां देखकर बहुत खुश हुई | फिर मैसरा गुलाम ने भी आप (स०) की इमानदारी, नेकी लोगों के साथ आपकी हमदर्दी,और मोहब्बत का आंखों देखा हाल बयान किया | बीबी खदीजा (रजि०) पर इस बात का बड़ा असर पड़ा | "Nabi ki zindagi ka bayan" उन्होंने आप (स०) की शादी का पैगाम दिया | आप (स०) तैयार हो गए | चाचा जान और कुरैश के कुछ और लोगों को साथ लेकर बीबी खदीजा (रजि०) के मकान पर पहुंचे | और शादी हो गई | उस वक्त आप (स०) की उम्र सिर्फ 25 साल की थी |और बीबी खदीजा (रजि०) की उम्र 40 साल की थी |
Nabi Ni Zindagi Ka Bayan:
एक बार की बात है काबा शरीफ की मरम्मत हो रही थी | जिसमें पुरानी दीवार को तोड़कर नई दीवार बनाई जा रही थी | एक दीवार में हजरे अस्वद लगा हुआ था | यह एक काला पत्थर था "Nabi e pak ki zindagi" यह पत्थर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की यादगार था | सब उसको बरकत वाला समझते थे |और जब दीवार में उस पत्थर को चुनने का वक्त आया तो सब लोग आपस में झगड़ा करने लगे | हर कोई यह चाहता था वह बरकत वाला पत्थर मैं लगाऊं | बात इस कदर बढ़ गई थी कि खून खराबे की नौबत आ गई थी | आखिर में बात इस चीज पर तय हुई कि जो शख्स काबा में सबसे पहले आएगा उसी का फैसला मान लिया जाएगा |
Nabi Ki Kindagi Kaisi Khi :
अल्लाह का कर्म था | कि दूसरे दिन सबसे पहले हमारे प्यारे नबी आप (स०) तशरीफ लाए | सब लोगों को आप (स०) पर भरोसा था | सबने आप (स०) को अपना पंच मान लिया | और आप (स०) ने बड़ा अच्छा फैसला किया | एक चादर ली उसमें हजरे अस्वद को रखा | ( Nabi Pak Ki Zindagi Ka Waqia ) और हर कबीले के सरदार को एक एक किनारा पकड़ने को कहा सब ने मिलजुल कर उठाया जब पत्थर वहां तक ले आए जहां उसे रखना था | तो आप (स०) ने उसे उठाकर दीवार में रख दिया | इस तरह हर कबीले को इस काम में शरीक होने का मौका मिल गया |
Nabi ki Zindagi Ka Bayan:
उन दिनों में मक्के के करीब एक हीरा नामक पहाड़ी थी | पहाड़ी में एक गार ( गुफा ) थी | ( Nabi Sallallahu Alaihi Wasallam Ki Zindagi )
आप (स०) गारे हीरा में जाते थे | सत्तू पानी साथ ले जाते | कई कई दिन तक वहां अकेले रहते अल्लाह की इबादत करते | लोगों की भलाई की तदबीरें सोचते | बुराइयों को मिटाने और नीतियों को फैलाने के नए रास्ते ढूंढते | जब सत्तू पानी खत्म हो जाता तो फिर घर आते | फिर सत्तू पानी लेते और लौट जाते |
Zindagi Hai Nabi Ki Nabi Ke Liye:
आखिर अल्लाह ने आप (स०) को रसूल बनाया | फिर अल्लाह ताला ने फरिश्ते हजरत जिब्राइल को आप (स०) के पास भेजा | हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम उनके पास अल्लाह का पैगाम लेकर आए | उसके बाद उस पैगाम को हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम ने आप (स०) को सुनाया | उसके बाद आप (स०) घर लौटे | और बीबी खदीजा (रजि०) से जिक्र किया | आप (स०) कुछ परेशान थे फिर बीवी खदीजा (रजि०) ने उन्हें अच्छी तरीके से समझाया बोली आप घबराते क्यों है | अल्लाह आपको नुकसान ना होने देगा | नेकी करते हैं सदका देते हैं, गरीबों की मदद भी करते हैं | यतीमो, बेवाओं, को सहारा देते हैं | मेहमानों की खातिर करते हैं | लोगों का बोझ उठाते हैं | दुखियों के काम आते हैं, आपको किस चीज का डर है |
Nabi Pak Ki Zindagi Ka Waqia:
उन दिनों रमजान की 17 तारीख थी | जब अल्लाह का पैगाम आया | जिब्राइल अलैहिस्सलाम अल्लाह का कलाम लेकर आए | आप (स०) ने उस कलाम को लोगों तक पहुंचाना शुरू किया | आप (स०) लोगों से कहते अल्लाह एक है वही सबका खालिक है | पैदा करने वाला है | और हाकिम है | ( स्वामी ) है | उसी का हुकुम मानो उसी की इबादत करो | मैं अल्लाह का रसूल हूं मेरी पैरवी करो | बुराइयों से बचो, भले काम करो, अल्लाह तुमसे खुश होगा | रहने को जन्नत देगा | बुरे आदमियों से अल्लाह नाराज होगा | और उन्हें सख्त सजा देगा |
Nabi E Kareem Ki Zindagi | Nabi Pak Ki Zindagi Ka Waqia:
जो नेक लोग हुआ करते थे वह सभी लोग आप (स०) की बातों को मान गए हजरत अबू बकर सिद्दीक (रजि०) आप (स०) गहरे दोस्त हुआ करते थे | मर्दों में सबसे पहले वह ईमान लाए |
हजरत खदीजा (रजि०) आप (स०) की नेक बीवी थी, औरतों में सबसे पहले हुए ईमान लाई | हजरत अली (रजि०) आप (स०) के चचेरे भाई थे, लड़कों में सबसे पहले वो ईमान लाए | हजरत जैद (रजि०) आप (स०) के गुलाम थे, गुलामों में सबसे पहले वे ईमान लाए, यह चारों बहुत नेक इंसान थे | आप (स०) की बात सुनते ही सच जाने और इमान ले आए |अल्लाह तबारक व ताला उनसे राजी हो |
कुछ दिन बाद अल्लाह का हुक्म आया | अपने गुमराह भाइयों को अल्लाह के आजाब से डराओ | आप (स०) ने ऐसा ही किया | मक्के के करीब एक पहाड़ी है, उसका नाम सफा है, आप (स०) उस पहाड़ी पर चढ़ गए और मक्का वालों को आवाज दी | जब सब लोग जमा हो गए तो आप (स०) ने फरमाया |
Nabi Kareem Sallallahu Salam Ki Zindagi:
“ मैं पहाड़ी के ऊपर हूं, तुम पहाड़ी के नीचे | मैं इधर भी देख रहा हूं उधर और उधर भी | ( मगर तुम्हारी नजर एक तरफ है ) | अगर मैं कहूं कि इस पहाड़ी के पीछे डाकुओं का एक फौज है, जो तुम पर हमला करने वाली है, तो क्या तुम यकीन करोगे !! सब ने एक जुबान होकर कहा कि बेशक आप ऊपर हैं हर तरफ देख रहे हैं | आप सच्चे हैं, और ईमानदार भी हैं | आप कभी झूठ नहीं बोलते हैं | हम आपकी बात पर जरूर यकीन करेंगे | फिर आप (स०) ने फरमाया, अय लोगो यह बात समझने के लिए एक मिसाल थी | यकीन करो, मौत तुम्हारे सिर पर खड़ी है | तुम्हें एक दिन मरना है | मर कर अल्लाह के पास जाना है और अपने किए हुए कर्मों का फल पाना है | अगर तुम ईमान लाकर नेक ना बन गए, तो तुम्हें सख्त आजाब मिलेगा,
अल्लाह ताला की तरफ से | तुम सिर्फ दुनिया को देख रहे हो और मैं आखिरत को भी देख रहा हूं |
hi
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