Hayatus Sahaba kitab: साहबा किराम रजीयल्लहु अनहुम का आपसी इत्तेहाद और एक राय होने का इस्तेमाल करना | और अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहूअलैहीवसल्लम की तरफ दावत देने और अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने में आपस के खिलाफ और झगड़े से बचने का एहतेमाम करना |
“Hayatus Sahaba kitab” की इस किताब में | इबने इशहाकतेरी बात है कि हजरत अबूबकर सिद्दीक रजि अल्लाह ताला ने शफीका बनी शाहिदा वाले दिन बयान करते हुए फरमाया कि यह बात जायज़ नहीं है कि मुसलमानों के 2 अमीर हो,क्योंकि जब भी ऐसा होगा, मुसलमानों के तमाम कामो और तमाम हुकुमो में खिलाफत पैदा हो जाएगा | और उनका इत्तेहाद बिखर जाएगा,और सुन्नत टूट जाएगी और इनके अंदर नफरत आजाएगी, “हयातुस सहाबा हिंदी में” इस किताब को लिख कर यही समझाने की कोशिश की गई है की "Islam" मे बहोत सहूलियत है, हर समस्या का हल है, “Hayatus Sahaba kitab” की इस किताब मे उनहो ने फरमाया की जब मुसलमान आपस मे लड़ेगा तो आपस मे नफ़रतों का
महोल बन जायगा |
हजरत सलीम बिन-ओबेद रजिअल्लाहतालाअनु ने हजरत अबूबकर रजिअल्लाह की आदतों के बारे में रिवायत करते हुए फरमाया है कि इस मौके पर अंसार में से एक आदमी ने कहा कि अमीर हम अंसार में से हो,और एक अमीर, यानी "टीम का रहनुमा"आप मुहाजिरीन में से हो, हजरत उमर रजि अल्लाह ने फरमाया एक म्यान में दो तलवार नहीं समाँ सकती है |
Abdullah-bin masood ne farmaya: हजरत अब्दुल्लाह बिन मसूद रजि अल्लाह ने एक मर्तबा बयान ने फरमाया की ये लोगों अपने अमीर यानी अपने टीम के रहनुमा की बात मानना और आपस में इकट्ठे रहना अपने लिए जरूरी समझो,क्योंकि यही चीज अल्लाह की वह रस्सी है, जिसको मजबूती से थामने का अल्लाह ने कुछ दिया है, और आपस में जुड़ कर चलने में जो ना गवारा बातें तुम्हें पेश आएंगी वह तुम्हारी उन पसंदीदा बातों से बेहतर है | जो तुमको अलग चलने में हासिल होगी अल्लाह ताला ने जो चीज भी पैदा फरमाए है उसके लिए अल्लाह ताला ने एक इम्न्तेहा भी बनाया है, जहां वह चीज पहुंच जाती है |
हजरत सलीम बिन-ओबेद रजिअल्लाहतालाअनु ने हजरत अबूबकर रजिअल्लाह की आदतों के बारे में रिवायत करते हुए फरमाया है कि इस मौके पर अंसार में से एक आदमी ने कहा कि अमीर हम अंसार में से हो,और एक अमीर, यानी "टीम का रहनुमा"आप मुहाजिरीन में से हो, हजरत उमर रजि अल्लाह ने फरमाया एक म्यान में दो तलवार नहीं समाँ सकती है |
Abdullah-bin masood ne farmaya: हजरत अब्दुल्लाह बिन मसूद रजि अल्लाह ने एक मर्तबा बयान ने फरमाया की ये लोगों अपने अमीर यानी अपने टीम के रहनुमा की बात मानना और आपस में इकट्ठे रहना अपने लिए जरूरी समझो,क्योंकि यही चीज अल्लाह की वह रस्सी है, जिसको मजबूती से थामने का अल्लाह ने कुछ दिया है, और आपस में जुड़ कर चलने में जो ना गवारा बातें तुम्हें पेश आएंगी वह तुम्हारी उन पसंदीदा बातों से बेहतर है | जो तुमको अलग चलने में हासिल होगी अल्लाह ताला ने जो चीज भी पैदा फरमाए है उसके लिए अल्लाह ताला ने एक इम्न्तेहा भी बनाया है, जहां वह चीज पहुंच जाती है |
यह "Islam" की मजबूती और तरक्की का जमाना है और बहुत जल्द यह भी अपने मंजिल तक पहुंच जाएगी | फिर कयामत के दिन तक इसमें कमी और ज्यादती होती रहेगी | और इसकी निशानी यह है कि लोग बहुत ज्यादा फकीर हो जाएंगी और फकीर को ऐसा आदमी नहीं मिलेगा जो उस पर एहसान करें और मालदार भी यह समझेगा, कि उसके पास जो कुछ भी है वह उसके लिए काफी नहीं है यहां तक कि आदमी अपने सगे भाई और चाचा जात भाई से अपनी फकीरी की शिकायत करेगा लेकिन वह भी उसे कुछ ना देगा |और यहां तक कि जरूरतमंद मागने वाला एक जुमे से दूसरे जुम्मे तक हफ्ते भर मांगने के लिए फिरता रहेगा, लेकिन कोई भी उसके हाथ पर कुछ नहीं रखेगा |
और जब नौबत यहां तक पहुंच जाएगी तो जमीन से एक जोरदार आवाज इस तरह निकलेगी कि हर मैदान के लोग यही समझेंगे कि यह आवाज उसके मैदान ही से निकली है और फिर जब तक अल्लाह चाहेंगे जमीन में खामोशी रहेगी फिर जमीन अपने जिगर के टुकड़े को बाहर निकाल कर फेंक देगी | उनसे पूछा गया ये हजरत अब्दुर्रहमान ! यह बताइए जमीन के जिगर के टुकड़े क्या चीज हैं | आपने फरमाया सोने और चांदी के सोतून और फिर उस दिन के बाद से कयामत के दिन तक सोने और चांदी से किसी तरह का नशा नहीं उठाया जा सकेगा | और हजरत "Mujahid ibn jabr" रहमतुल्लाह के अलावा दूसरे हजरत की रिवायत में यह मजनूम है | की रिश्तेदारों को तोड़ा जाएगा यहां तक कि मालदार को सिर्फ फकीरी का डर होगा और गरीब को कोई आदमी ऐसा ना मिलेगा जो उस पर एहसान करेगा | और आदमी का !! Hindi hayatus sahaba: इस किताब मे आगे का वाक़या यह लिखा है की उनके चाचा जात भाई मालदार हुआ करेंगे | और उसे अपनी जरूरत की शिकायत करेगा लेकिन वह चर्च आजाद भाई उसे कुछ नहीं देगा इसके बाद वाला मजमून जिक्र नहीं करेगा | एक साहब बयान करते हैं कि हम लोग हजरत अबूजर रजीअल्लाह को देने के लिए एक चीज उठा कर ले चलें | उसके मकान रबजा पहुंचकर हमने उसके बारे में पूछा तो वहाँ हमें वह ना मिले, और हमें बताया गया कि उन्होंने अमीरुल मोमिनीन से हज पर जाने की इजाजत मांगी थी |
और उनको इजाजत मिल गई थी और वह हज पर जा चुकी थे | अर्थात हम वहां से चलकर शहर मीना में उनके पास पहुंचे हम लोगों | हम लोग उनके पास बैठे हुए थे कि किसी ने उनको बताया कि अमीरुल मोमिनीन हजरत उस्मान रजि अल्लाह ने मीना में 4 रकात नमाज पढ़ी है तो उन्हें इससे बड़ी नागवारी हुई और किस बारे में उन्होंने बड़ी सख्त बात कही और उन्होंने फरमाया कि मैं हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ यहां मीना में नमाज पढ़ी थी तो आपने 2 रकात नमाज पढ़ी थी और मैं हजरत अबू बकर रजी अल्लाह और हजरत उमर रजि अल्लाह के साथ यहां नमाज पढ़ी थी तो उन्होंने भी दो दो रकात नमाज पढ़ी थी |लेकिन जब नमाज पढ़ने का वक्त आया तो हजरत अबू जहर रजि अल्लाह ने खड़े होकर 4 रकात नमाज पढ़ी |हजरत उस्मान रजि अल्लाह ने मक्के में शादी कर ली थी, और मक्के में कुछ दिन रहने का इरादा कर लिया था | इसलिए वह मुकीम हो गए थे | और 4 रकात नमाज पढ़ रहे थे, इस पर उनकी खिदमत में कहा गया कि, अमीरुल मोमिनीन के जिस काम पर आप एतराज कर रहे थे आप खुद ही उसे कर रहे हैं?
हयातुस सहाबा हिंदी में: उन्होंने फरमाया कि अमीर की मुखालफत करना इससे ज्यादा सख्त है | एक बार हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हम लोगों में बयान पर माया था | “Hayatus Sahaba kitab” मे इरशाद फरमाया था कि मेरे बाद बादशाह होगा तुम उसे जलील ना करना क्योंकि जिसने उसे जलील करने का इरादा किया उसने इस्लाम की रस्सी को अपनी गर्दन से निकाल फेंका और उस शख्श से की तौबा उस वक्त तक कोबूल ना होगी जब तक वह उसके सुराख को बंद ना कर दे जो उसने किया है | ( यानी बादशाह को जलील करके उसने इस्लाम को जो नुकसान पहुंचाया है उसको पूरा ना कर ले )और वह ऐसा कर ना सकेगा अपने पिछले रवैया से उसने अपने पिछले बर्ताव को माना और माफी मांगी और बादशाह की इज्जत करने वाला बन गया |
हुजूर सल्ला वसल्लम ने हमें इस बात का हुक्म दिया है कि तीन बातों में बादशाहो को हम अपने पर ग़ालिब ना आने दे यानी हम उनकी इज्जत करते रहे, लेकिन उनकी वजह से यह तीन काम ना छोड़े | एक तो हमने की का लोगों को वोट देते रहे दूसरे बुराई से रोकते रहे और तीसरे लोगों को सुन्नत तरीका सिखाते रहे |
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यह "Islam" की मजबूती और तरक्की का जमाना है और बहुत जल्द यह भी अपने मंजिल तक पहुंच जाएगी | फिर कयामत के दिन तक इसमें कमी और ज्यादती होती रहेगी | और इसकी निशानी यह है कि लोग बहुत ज्यादा फकीर हो जाएंगी और फकीर को ऐसा आदमी नहीं मिलेगा जो उस पर एहसान करें और मालदार भी यह समझेगा, कि उसके पास जो कुछ भी है वह उसके लिए काफी नहीं है यहां तक कि आदमी अपने सगे भाई और चाचा जात भाई से अपनी फकीरी की शिकायत करेगा लेकिन वह भी उसे कुछ ना देगा |और यहां तक कि जरूरतमंद मागने वाला एक जुमे से दूसरे जुम्मे तक हफ्ते भर मांगने के लिए फिरता रहेगा, लेकिन कोई भी उसके हाथ पर कुछ नहीं रखेगा |
और जब नौबत यहां तक पहुंच जाएगी तो जमीन से एक जोरदार आवाज इस तरह निकलेगी कि हर मैदान के लोग यही समझेंगे कि यह आवाज उसके मैदान ही से निकली है और फिर जब तक अल्लाह चाहेंगे जमीन में खामोशी रहेगी फिर जमीन अपने जिगर के टुकड़े को बाहर निकाल कर फेंक देगी | उनसे पूछा गया ये हजरत अब्दुर्रहमान ! यह बताइए जमीन के जिगर के टुकड़े क्या चीज हैं | आपने फरमाया सोने और चांदी के सोतून और फिर उस दिन के बाद से कयामत के दिन तक सोने और चांदी से किसी तरह का नशा नहीं उठाया जा सकेगा | और हजरत "Mujahid ibn jabr" रहमतुल्लाह के अलावा दूसरे हजरत की रिवायत में यह मजनूम है | की रिश्तेदारों को तोड़ा जाएगा यहां तक कि मालदार को सिर्फ फकीरी का डर होगा और गरीब को कोई आदमी ऐसा ना मिलेगा जो उस पर एहसान करेगा | और आदमी का !! Hindi hayatus sahaba: इस किताब मे आगे का वाक़या यह लिखा है की उनके चाचा जात भाई मालदार हुआ करेंगे | और उसे अपनी जरूरत की शिकायत करेगा लेकिन वह चर्च आजाद भाई उसे कुछ नहीं देगा इसके बाद वाला मजमून जिक्र नहीं करेगा | एक साहब बयान करते हैं कि हम लोग हजरत अबूजर रजीअल्लाह को देने के लिए एक चीज उठा कर ले चलें | उसके मकान रबजा पहुंचकर हमने उसके बारे में पूछा तो वहाँ हमें वह ना मिले, और हमें बताया गया कि उन्होंने अमीरुल मोमिनीन से हज पर जाने की इजाजत मांगी थी |
और उनको इजाजत मिल गई थी और वह हज पर जा चुकी थे | अर्थात हम वहां से चलकर शहर मीना में उनके पास पहुंचे हम लोगों | हम लोग उनके पास बैठे हुए थे कि किसी ने उनको बताया कि अमीरुल मोमिनीन हजरत उस्मान रजि अल्लाह ने मीना में 4 रकात नमाज पढ़ी है तो उन्हें इससे बड़ी नागवारी हुई और किस बारे में उन्होंने बड़ी सख्त बात कही और उन्होंने फरमाया कि मैं हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ यहां मीना में नमाज पढ़ी थी तो आपने 2 रकात नमाज पढ़ी थी और मैं हजरत अबू बकर रजी अल्लाह और हजरत उमर रजि अल्लाह के साथ यहां नमाज पढ़ी थी तो उन्होंने भी दो दो रकात नमाज पढ़ी थी |लेकिन जब नमाज पढ़ने का वक्त आया तो हजरत अबू जहर रजि अल्लाह ने खड़े होकर 4 रकात नमाज पढ़ी |हजरत उस्मान रजि अल्लाह ने मक्के में शादी कर ली थी, और मक्के में कुछ दिन रहने का इरादा कर लिया था | इसलिए वह मुकीम हो गए थे | और 4 रकात नमाज पढ़ रहे थे, इस पर उनकी खिदमत में कहा गया कि, अमीरुल मोमिनीन के जिस काम पर आप एतराज कर रहे थे आप खुद ही उसे कर रहे हैं?
हुजूर सल्ला वसल्लम ने हमें इस बात का हुक्म दिया है कि तीन बातों में बादशाहो को हम अपने पर ग़ालिब ना आने दे यानी हम उनकी इज्जत करते रहे, लेकिन उनकी वजह से यह तीन काम ना छोड़े | एक तो हमने की का लोगों को वोट देते रहे दूसरे बुराई से रोकते रहे और तीसरे लोगों को सुन्नत तरीका सिखाते रहे |
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